बुढ़ापा -कहानी लेखनी प्रतियोगिता -19-Mar-2022
बुढ़ापा
एक बार की बात है। रोहन अपने परिवार में इकलौता बेटा था। अतः मम्मी-पापा उससे बेहद प्रेम करते थे। सब बहुत खुशी से रह रहे थे। रोहन अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुका था और उसका सपना था कि वह विदेश में वकालत करे। कई साल बीत गए और उसकी वकालत की पढ़ाई पूरी हो गई। अब वह पूरी तरह तैयार था विदेश जाने के लिए। उसके बूढ़े माँ-बाप यही सोच रहे थे कि जब उनका बेटा विदेश चला जाएगा तो वे उसके बिना क्या करेंगे, कैसे रहेंगे। यही सोचते-सोचते उन्होंने रोहन से पूछा, "तुम आखिर अपने देश में ही क्यों नहीं वकालत करते?" रोहन ने जवाब दिया क्योंकि मुझे बहुत बड़ा वकील बनना है, भारत का कोई छोटा-मोटा वकील नहीं। यह सुनते ही उसके मम्मी-पापा ने उसको खींचकर चांटा लगा दिया और कहा, "जिस मिट्टी में तुम जन्मे हो, उसी के लिए ऐसी बातें करते तुम्हें शर्म नहीं आती। उसने बोला, "अब तो मैं यह देश छोड़कर ही जाऊँगा। कुछ भी हो जाए, मुझे अपना भविष्य खराब नहीं करना।" माता-पिता का दिल टूट गया।अगले दिन ही रोहन विदेश चला गया। उसके मम्मी-पापा को बेटे का ख्याल बड़ा सताता था कि कहीं उनके बेटे को कुछ हो ना जाए। वक्त बीत गया और अब रोहन के मम्मी-पापा बहुत ज्यादा बूढ़े हो गए थे पर उसको उनकी चिंता कभी नहीं सताई। कई केस लड़ने तथा तेज़ी से सफलता पाने के बाद रोहन नें वहीं शादी करके सदा के लिए बस गया। अचानक किसी काम के सिलसिले में जब रोहन को भारत कुछ दिनों के लिए आना पड़ा तब भी वह अपने मम्मी-पापा से नहीं मिला। वह एक मित्र के घर पर रुका और काम समाप्त करके चला गया। कुछ समय बाढ़ रोहन को एक पुत्र की प्राप्ति हुईं तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा किंतु जैसे-जैसे बेटा बड़ा होने लगा, रोहन के प्रति बेटे का व्यवहार अत्यंत रूखा हो गया। वह रोहन की कोई बात नहीं सुनता था। जब बेटा बड़ा हुआ तो उसने धोखे से पिता की सारी संपत्ति अपने नाम करा कर माता-पिता को घर से निकाल दिया। आज रोहन को अपने माता-पिता के दर्द का अहसास हुआ। उसने भी अपने माँ-पापा को वृद्धावस्था में अकेला छोड़ दिया था। वह अपने पास जो कुछ बचा था वह सब बेचकर वापस भारत आया। वह अपने माता-पिता से मिलने के लिए बेचैन था। जब वह अपने घर पहुँचा तो उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने देखा घर पर काफी भीड़ लगी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। जब वह घर के अंदर गया तो देखा कि माता-पिता की तस्वीर पर हार चढ़ा था और एक अनजान व्यक्ति शांति पूजा कर रहा था। पूजा समाप्त होने पर जब रोहन ने उस अनजान व्यक्ति से पूछा कि उसके माता-पिता को क्या हुआ और वह कौन है? उस व्यक्ति ने कहा, "आप रोहन बाबा हैं न!" रोहन ने आश्चर्य से पूछा, "आप मुझे कैसे जानते हो?" उसने कहा, "आपके माता-पिता हमेशा कहते थे कि आप एक दिन जरूर आओगे और इसी उम्मीद में जी रहे थे। जब उनकी साँसे टूटने लगीं तब उन्होंने कुछ पेपर मुझे देकर कहा था कि जब आप आओ तो मैं आपको दे दूँ। कुछ दिन पहले ही उनका देहांत हो गया। आपसे कोई सम्पर्क का जरिया न होने के कारण मैंने ही उनका अंतिम संस्कार किया। मैं एक अनाथ हूँ लेकिन आपके बाबूजी ने मुझे इस काबिल बना दिया कि मैं अब दूसरों को सहारा दे रहा हूँ।" उस व्यक्ति की बातें सुनकर रोहन का दिल तड़प उठा और वह फूट-फूट कर रो पड़ा। उसने उस व्यक्ति का दिया हुआ लिफाफा खोलकर देखा तो उसमें संपत्ति के कागज़ थे और एक चिट्ठी थी। उसमें लिखा था, बेटा हमारा सब कुछ तुम्हारा है, हम तुमसे कभी नाराज़ नहीं थे। तुम्हें चाँटा मारना हमारी गलती थी किंतु मातृभूमि का अपमान कैसे बर्दाश्त करते। अब हमें जा रहे हैं, सदा अपना ख्याल रखना। भगवान तुम्हें हमेशा खुश रखे। प्रॉपर्टी के पेपर तुम्हारे नाम हैं, तुम अब इस घर के मालिक हो। हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा। उसका दिल हुआ, काश! वह एक बार अपने माता-पिता से मिल ले और अपने कृत्यों के लिए माफी मांग ले किंतु बीता वक़्त लौट कर नहीं आ सकता था। रोहन अपनी पूरी जिंदगी इसी पछतावे में रहा अगर उसने अपनी मम्मी-पापा के साथ ऐसा ना किया होता तो शायद उसके साथ ऐसा ना होता। ईश्वर ने उसे उसके कर्मों की सजा दी है। रोहन ने भारत में hi अपनी वकालत शुरु की और कुछ समय में ही जब उसकी स्थिति थोड़ी सुधरी तो उसने अपनी गलतियों का पश्चाताप करने के लिए घर में ही एक वृद्धाश्रम खोला और अनेक बुजुर्गों को सहारा दिया तथा सच्चे दिल से उनकी सेवा करने लगा। उसे हर बुजुर्ग में अपने माता-पिता नज़र आते और उनकी सेवा कर सुकून मिलता।
अयांश गोयल
Seema Priyadarshini sahay
22-Mar-2022 01:08 AM
बहुत खूबसूरत
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Abhinav ji
20-Mar-2022 09:36 AM
Bahut badhiya sir
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Mohammed urooj khan
20-Mar-2022 12:59 AM
Nice story
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